एक पिता,
कुछ और नहीं देता है विरासत में अपने पुत्र को,
एक अधूरी यात्रा के सिवाय.
वह यात्रा-
जो उसने अपने पिता से पाई थी.
इस विश्वास के साथ-
कि यदि वह यात्रा उसका पुत्र पूरी न कर सका,
तो यात्रा का अधूरा हिस्सा सौंप देगा उसके पौत्र को.
संततियों का,
कुछ और नहीं होता है व्याकरण,
यह है मात्र पिछली पीढ़ी द्वारा
अगली पीढ़ी को,
अपनी अवशेष यात्रा का हस्तांतरण.
--- तरुण प्रकाश
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